वोट भी देने चलो
वोट भी देने चलो...मन्दिर जाते मस्जिद जातेगिरजा और गुरुद्वारे जातेसर्वधर्म का उत्सव है बन्धुवोट भी देने चलोदेश अपना देश के हमनिज मत को आंको न कमआलस मत करना रे बन्धुवोट भी देने चलोफलां नेता पसंद नहीं...
View Articleमौन.....
मौन कहीं निःशब्द है और कहीं है अति मुखरबना कहीं अवहेलना या कहीं बने बहुत प्रखरमौन अधर के नम दृगों की बनती बड़ी कहानीअनकही बातों में मौन भर देता अपनी रवानीनदिया मौन सागर मौन पर्वत मौन अम्बर मौनहर मौन का...
View Articleमन वैरागी
दस तांका --- ऋता शेखर 'मधु'१.हृदय गंगोत्रीप्रेम की गंगा बहीधारा पावन समेट रही छलजीत रही है बल|२.मन वैरागीस्मृतियों का काननकरे मगनचुनो सुहाने पलमहकेगा आँचल|३.लेखनी हंसमन मानसरोवरशब्दों के मोतीचुगता...
View Articleपानी दो बेटे...(लघुकथा)
पानी दो बेटे...(लघुकथा)वह भारत देश था जो मृत आत्माओं को भी पानी पिलाता था|पितृपक्ष में प्रेतात्माएँ अपनी संतति के घरों के चक्कर लगा रही थी|भीषण गर्मी से परेशान...मगर पानी का नामोनिशान नहीं|जब उनसे नहीं...
View Articleआत्मनिर्भरता...( लघुकथा)
आत्मनिर्भरता...आज कई दिनों के बाद दोनो सहेलियाँ रमा और माधवी मिली थीं| इतनी सारी गप्पें कि समय कैसे पंख लगाकर भाग रहा था पता ही नहीं चला| विवाह के तीस वषों के बाद मिलीं थीं दोनो| जाहिर हैं गप्पों का...
View Articleहमारे श्रमिक...
हमारे श्रमिक...सिर पर गारा हाथ में छेनीधूप भी तो स्वीकार हैपेट है खाली तन पर चिथड़ेना कोई प्रतिकार हैमौन मुख बाजू फौलादीसबके ही मददगार हैंझुलसा तन माथे पर बूँदेंप्रेम के हकदार हैंईंटों से ईंटें जोड़...
View Articleओ माँ मेरी....
ओ माँ मेरी....तू ही तू तू ही तूहर सांस में तूहर आस में तूहर मुश्किल में साथ खड़ीमाँ, मेरे एहसास में तूभोर की तुलसी है तूपूजा का चंदन है तूरसोई की सोंधी खुश्बू क्षुधा की पूर्ति है तूहर सीख में तूतहज़ीब...
View Articleमिलेगा सम्मान देख लेना ...चतुष्पदी रचनाएँ
१.आइने को पोंछ दूँ या खुद को सँवार लूँवक्त के धुँधलके में मैं रब को पुकार लूँहे प्रभु निखार दो मेरे अंतस का दर्पणतुम्हारा दिव्य रूप मैं उसमे निहार लूँ|............ऋता शेखर 'मधु'२.मिलेगा सम्मान देख लेना...
View Articleसमांतर रेखाएँ
अन्तर बना कर चलने का भीगणित में बहुत सार्थक वजूद हैसैद्धान्तिक रूप से दो समांतर रेखाएँआपस में नहीं मिलतींपर चलती हैं साथ साथबिना दो रेखाओं के समांतर शब्द का अर्थ नहींदो भिन्न स्वभाव के लोगजब भी साथ...
View Articleवट सावित्री पूजा...
पूजा की थालीरोली अक्षत सिन्दूरफल पंखे मौलिलेकर चली ब्याहताखुद भी सजीमहावर रचाएनथ टीका बिंदी सजाएवट वृक्ष की ओरमाँगेगी दुआ पति की लम्बी उम्र के लिएक्योंकि सावित्री ने माँगा था प्राणपति सत्यवान के...
View Articleपलकों तले ख्वाब सजाए रखना
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=302240806616491&set=a.106386456201928.11748.100004917216485&type=1पलकों तले ख्वाब सजाए रखनाकोमल जज्बात जगाए रखनायथार्थ का धरातल है बड़ा कठोरअशकों के मोती...
View Articleआ तुझको मैं अपनी कूची में उतार लूँ
आ तुझको मैं अपनी कूची में उतार लूँकान्हा तेरी प्रीत को मैं रंगों से सँवार दूँनील मेघ सा रंग है तेरा गहरी झील सी आँखेंतेरे रक्त अधर पर मैं रहस्य मुस्कान निखार दूँआ तुझे मैं अपनी कूची में उतार लूँकान्हा...
View ArticleHappy Women's Day
आइए , हम सब मिलकर एक ऐसे भयमुक्त,स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज का निर्माण करें जहाँ हर माता पिता बे-ख़ौफ़ यह कामना कर सकें....''तू आना मेरे देस मेरी लाडो ''...और हर लड़की ईश्वर से मांगे...'अगले जनम मोहे...
View Articleकभी बैठ भी जाया करो
कभी बैठ भी जाया करो... सहेलियो, आज बस तुमसे बातें करने की इच्छा हो गई|घर के कामकाज में उलझे रहते हैं हम हमेशा, कभी साथ बैठकर बोल बतिया भी लिया करो|अच्छा, ये बताओ कि आज कामवाली आई या नहीं| अ र र नहीं...
View Articleबाबुल में ही जानिए संबल का आधार--ऋता
७.बाबुल में ही जानिए, संबल का आधार,बाबुल में ही मानिेए, अम्बर सा विस्तार|अम्बर सा विस्तार, सहज ही हम पा जाते,कदमों में विश्वास, निडर बन के ले आते|हाथ सदा हो माथ, हिंद हो या हो काबुल,बरगद जैसी छाँव, डगर...
View Articleबंधन में स्वतंत्रता
उड़ते परिंदे ने पूछा-'अरी पतंगउन्मुक्त गगन मेंइधर उधर विचरतीतू बहुत खुश है न''हाँ, बहुत खुश हूँ''मगर तूने देखातेरे में जो डोर बँधी हैवह बाधक हैतेरी स्वच्छंंदता मेंडोर ही तय करती हैतुम्हारी दिशा, गतिऔर...
View Articleमानव को वरदान में, मिले बोल अनमोल
13.चाकी पर घट ढालता, कारीगर कुम्हार,माटी जल में भीगती, लेती है आकार|लेती है आकार, आँच में फिर तप जाती,प्यारी सी सौंधास, नीर में भर कर लाती|बचपन ऐसे पाल, बसे अंतस में खाकी,परमारथ हो काज, करे जैसे ये...
View Articleदुनिया तो रैन बसेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा हैक्या तेरा है क्या मेरा हैजरा सीख लो मानवताजरा सरल भी बन जानाफिर तो नया सवेरा हैदुनिया के रेलम ठेला मेंब्रह्म मुहुर्त की बेला मेंरब का अंतस में रख लोकर्मों में रत होकर देखोयह सुकून...
View Articleमधुर गुंजन ब्लॉग की तीसरी वर्षगाँठ पर प्रस्तुति -- संज्ञा हूँ मैं
नारी हूँ मैं , संज्ञा हूँमैंजब जब लेखनी उठाती हूँतड़प उठती हूँ देखकरसमाज में फैली कुव्यवस्थादर्द दुख द्वेष छल अत्याचारव्यक्त करना चाहती हूँउन सभी के अंतस कोजो मौन रह सह जाते हैं वह भी जो नहीं सहना...
View Articleमित्रता
मित्रता...............सूरज को देखो जरावह दोस्ती निभाता हैजाने से पहले चाँद को रौशनी दे जाता हैसागर चाँद से मिलनेपूनम को जाता हेकौन कहता धरती सेअम्बर कभी मिलता नहींदर्द बाँटने वह क्षितिज परतत्परता से...
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