मौन कहीं निःशब्द है और कहीं है अति मुखर
बना कहीं अवहेलना या कहीं बने बहुत प्रखर
मौन अधर के नम दृगों की बनती बड़ी कहानी
अनकही बातों में मौन भर देता अपनी रवानी
नदिया मौन सागर मौन पर्वत मौन अम्बर मौन
हर मौन का जीवन दर्शन, बिन कवि के समझे कौन?
बना कहीं अवहेलना या कहीं बने बहुत प्रखर
मौन अधर के नम दृगों की बनती बड़ी कहानी
अनकही बातों में मौन भर देता अपनी रवानी
नदिया मौन सागर मौन पर्वत मौन अम्बर मौन
हर मौन का जीवन दर्शन, बिन कवि के समझे कौन?
तुझ में रम कर सुध बुध खोई मेरे नटवर कान्हा|
मइया कह मुझको दुलरावे मेरा प्रियवर कान्हा|
बाल सखा गोपी की बातें मुझको नहिं हैं भातीं,
मैं ना मानूँ छलिया है वह मेरा ईश्वर कान्हा||
..........................ऋता