अन्तर बना कर चलने का भी
गणित में बहुत सार्थक वजूद है
सैद्धान्तिक रूप से
दो समांतर रेखाएँ
आपस में
नहीं मिलतीं
पर चलती हैं साथ साथ
बिना दो रेखाओं के
समांतर शब्द का अर्थ नहीं
दो भिन्न स्वभाव के लोग
जब भी साथ चलते हैं
उनके बीच दूरी रहती है
पर यह न समझो
उन्हें दूसरे की परवाह नहीं
परवाह है तभी तो साथ हैं
और गणितज्ञ यह भी कहते हैं
समांतर रेखाएँ अनंत में मिलती हैं
तो हे प्रभु,
यही आशा और विश्वास
हमारे साकार और
तुम्हारे निराकार रूप को
अनंत में एकाकार करेंगे
और तब सिद्ध हो जाएगा
पूजा और आस्था का समांतर होना|
.........ऋता शेखर 'मधु'