नए वर्ष का हुआ विहान - चौपई छंद
चौपई छंद - १५ मात्राओं के साथ अन्त में गुरु लघु१.नए वर्ष का हुआ विहान|गिरधर छेड़ो अपनी तान||नहिं नारी का हो अपमान|कुछ ऐसा ही रचो विधान||*****************२.वर्ष नवल आया है द्वार|लेकर खुशियों का...
View Articleतो मैं गीत तुम्हारे गाऊँ...
गीत....हे नारायण दयामनाशीश नवा मैं करूँ प्रार्थनादे दो भक्ति का भंडारतो मैं गीत तुम्हारे गाऊँ|पितृ भक्ति में राम बनूँमधुर भाव सुर श्याम बनूँहर लो नैनों से जलधारतो मैं गीत तुम्हारे गाऊँ|मीत कहूँ मन बसे...
View Articleमेरे हाइकु-जोशीले पग
इसमे एक हाइकु की अंतिम पंक्ति दूसरे हाइकु की प्रथम पंक्ति है१.जोशीले पगवतन के रक्षकरुकें न कभी|२.रुकें न कभीधड़कन दिलों कीसूर्य का रथ|३.सूर्य का रथउजालों की सवारीधरा की आस|४.धरा की आसनभ से मिली...
View Articleयह है मौज मनाने का दिन
यह है मौज मनाने का दिनखेलने हँसने गाने का दिनछुपा छुपाई दिन भर खेलेंसोमवार को हिन्दी पढ़ लेंमंगल की है बात निरालीगेंदा फूले डाली डाली डालीबुधवार ने बिगुल बजायाबच्चों ने फिर चित्र बनायागुरुवार को...
View Articleईश्वर के दरबार में झूठ कभी मत बोलो|
तुम ही मेरे राम हो, तुम ही हो घनश्याम|ओ मेरे अंतःकरण, तुम ही तीरथ धाम||तुम ही मेरा काव्य हो, तुम ही मेरा ग्रन्थआलोचक बनकर सदा, सही दिखाते पन्थ||ईश्वर के दरबार में झूठ कभी मत बोलो|हो जाए गर भूल तो मन ही...
View Article192..कसीदाकारी
आज दर्द का इक टुकड़ा फ़लक में उड़ा दिया हमनेचंद ख्वाबों से हँसकरपीछा छुड़ा हमनेचाँद से चुराकर एक किरनजीवन की चादर परकसीदाकारी की हैबड़े जतन से समेटकर शबनमयादों की रुनझुन पायल परमीनाकारी की हैहोठों पर...
View Articleससुराल में ठीक से रहना बेटी
दुल्हन के वेश में सजी वह निढाल सी तकिए पर गिर पड़ी और सुबक सुबक कर रोने लगी| आँसुओं से तरबतर चादर और तकिया , हिचकियों से रूँधा गला और हताश सी उसकी आँखें निःशब्द थीं| कुछ देर तक वह इसी अवस्था में...
View Articleबागों में पतझर का हो रहा श्रृंगार...
फूलों की डोली ले आया है बहारबागों में पतझर का हो रहा श्रृंगार गुँथे हैं चम्पई गेंदों के पुष्प हारमाँ शारदे, तुझे नमन है बारम्बार !पीत वसन मुख चंद्र सा हैकर में वीणा रसरंग सा हैबैर, मक्को,कंद का चढ़ रहा...
View Articleअरुण निशा के बीच दिवस का बीता जाए पल
१.अरुण निशा के बीच दिवस का बीता जाए पल|कुछ लम्हे हैं प्रीत के तो कुछ में भरे हैं छल|शिलालेख सदा कहता है कैसा रहा अतीत,कुछ अवसाद होते हैं ऐसे वक्त ही जिनका हल|२.सुगंध अनूठे लेकर डलिया में ऋतुराज हैं...
View Articleअहसास का साथ
छंदमुक्त रचना....अहसास का साथ---------------------एकांत में रहने वाले मनुकभी सोचा है गहराई सेक्या वाकई तुम अकेले हो?नहीं, बिल्कुल भी नहींसाकार न भी हो कोईमगर हम सभी मनुष्यकिसी न किसी घेरे में रहते...
View Articleकहमुकरी
कहमुकरी पर प्रयास१.बिन उसके मन हरदम तरसेसावन में बूँदें बन बरसेआँखों से बह जाए काजलका सखि साजनना सखि बादल|२.उमड़ घुमड़ कर प्रेम जताएमन का पोखर भरि भरि जाएदेख देख उसको मन हर्षाका सखि साजनना सखि...
View Articleहम की महती भावना, मानव की पहचान
१.मैं मैं मैं करते रहे, रखकर अहमी क्षोभस्वार्थ सिद्धि की कामना , भरती मन में लोभभरती मन में लोभ, शोध कर लीजे मन कामिले ज्ञान सा रत्न, मान कर लें इस धन काकरम बने जब भाव, धरम बन जाता है मैंजग की माया...
View ArticleHappy Women's Day
आइए , हम सब मिलकर एक ऐसे भयमुक्त,स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज का निर्माण करें जहाँ हर माता पिता बे-ख़ौफ़ यह कामना कर सकें....''तू आना मेरे देस मेरी लाडो ''...और हर लड़की ईश्वर से मांगे...'अगले जनम मोहे...
View Articleहोली आयो रे ...
होली...एक ऐसा शब्द जो श्रवण करते ही कितने सारे भाव उपज आते हैं मन की भूमि पर जो बंजर बन चुके मस्तिष्क पर भी रंगों की बौछार करने से नहीं चूकते| होली में बहार है,होली में खुमार है, होली में श्रृंगार...
View Articleचटक गए टेसू पलाश
चटक गए टेसू पलाशलिपट रही फगुनाईआम्रकुँज के बौर परकोयलिया गीत सुनाईपंखों पर रंग लिएतितली दौड़ी आईये कौन ऋतु आई सखीकौन ऋतु आईरंगों के बादल मेंखुशियों की बौछार हैफाग के राग मेंसाजन की पुकार हैकागा के बोल...
View Articleवतन का राग गाएँ हम
ख्वाबों में कभी जिसने सेहरा भी पहनाया होगा,स्वप्न बहु से स्वप्न में पाँव भी छुलवाया होगा|नम दृगों से नमन करें उन शहीदों की जननी को,सुत-मिलन पर जिसने श्रद्धा सुमन चढ़ाया होगा||देख गुलामी की जंजीरें मन...
View Articleकटीली बेड़ियाँ
कई कटीली बेड़ियाँ हैं धर्म की और जात कीजीवन के शतरंज पर शह की और मात कीखिलखिलाते बहार पर निर्दयी तुषारपात कीभोले भाले मेमनों पर शेर के आघात कीइर्ष्या के भाव से जुटे हुए प्रतिघात कीसिसकियों में डूबी...
View Articleकैसे जाऊँ पार
ढाई आखर प्रेम का, पढ़ती बारम्बार|मक्कारी की बाड़ है, कैसे जाऊँ पार||१भव सागर में तैरती, जा पहुँची मँझधार|लहरों का विस्तार है, कैसे जाऊँ पार||२बड़ी विकट है यह घड़ी, मेरे पालनहार|कुछ तो राह सुझाइए, कैसे...
View Articleलघुकथा...
लघुकथा....सुरेश बाबू दफ्तर की फ़ाइल लिए सवेरे फटाफट सीढ़िया उतरने लगे...देर जो हो रही थी...तभी माँ की पुकार सुनाई पड़ी...उल्टे पाँव वापस आ गए माँ के पास|चलने फिरने से लाचार अशक्त वृद्धा ने आँखों में...
View Articleरंगा सियार
रंगा सियार...हरा भरा इक जंगल थावहाँ न कोई दंगल थासभी प्यार से रहते थेअच्छी बातें कहते थेशेर हिरन भालू या बंदरनिर्मल दिल था सबके अन्दरएक घाट पर जाते थे वेमीठे बोल सुनाते थे वेकोयल बुलबुल चहका करतींकानन...
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