चटक गए टेसू पलाश
लिपट रही फगुनाई
आम्रकुँज के बौर पर
कोयलिया गीत सुनाई
पंखों पर रंग लिए
तितली दौड़ी आई
ये कौन ऋतु आई सखी
कौन ऋतु आई
रंगों के बादल में
खुशियों की बौछार है
फाग के राग में
साजन की पुकार है
कागा के बोल में
प्रिया का श्रृंगार है
ये कौन ऋतु आई सखी
कौन ऋतु आई
रीती अँखियाँ चुनरी कोरी
बिन कान्हा के भाय न होरी
ब्रज की गलियों में ढूँढ रही
श्याम को वृषभान की छोरी
समझाने से समझे नाहिं
रोती छुपके चोरी चोरी
ये कौन ऋतु आई सखी
कौन ऋतु आई
........ऋता