Quantcast
Channel: मधुर गुँजन
Viewing all articles
Browse latest Browse all 486

अहसास का साथ

$
0
0
छंदमुक्त रचना....

अहसास का साथ
---------------------

एकांत में रहने वाले मनु
कभी सोचा है गहराई से
क्या वाकई तुम अकेले हो?

नहीं, बिल्कुल भी नहीं
साकार न भी हो कोई
मगर हम सभी मनुष्य
किसी न किसी घेरे में रहते हैं|

कभी खुशियों की गोद में
कभी गमों की नदी में
कभी यादों में डूबे हुए
कभी भविष्य संजोने में

निरंतर साथ होता है
कोई न कोई एहसास
हर समय हर जगह
फिर क्यों रोते हौ भाई!

यदि सामने बैठा हो कोई
तब भी तुम अकेले हो
सामने वाला नहीं समझता
तुम्हारी इच्छाओं को
तुम्हारी भावनाओं को
क्या कहलाएगा यह??

प्रभु के आभारी हैं हम
दिया है उसने तन में मन
वह कभी किसी को भी
एकाकी नहीं होने देता

संवाद के लिए हमेशा
होठों का हिलना जरूरी नहीं
मन के भीतर के संवाद
हल दे जाते हैं
जटिल समस्याओं के
खुद ही करते सवाल
खुद जवाब देते रहते
फिर बोल रे मनु!
तुम अकेले कहाँ हो???
फिर अकेलेपन की शिकायत कैसी...
दुआ करो कि अहसास का साथ न छूटे कभी
................ऋता

Viewing all articles
Browse latest Browse all 486

Trending Articles