हैं आजाद हम...
शिखी शेर शतदल सभी, भारत की पहचानप्राणों से प्यारा हमें,जन गन मन का गान|सर्व धर्म संपन्नता, भारत का है नूर|दिल से दिल मिल कर रहें, खुशियाँ हों भरपूर||केसरिया ने रच दिया, भारत का संविधान|झूमता है लाल...
View Articleमन वैरागी
दस तांका --- ऋता शेखर 'मधु'१.हृदय गंगोत्रीप्रेम की गंगा बहीधारा पावन समेट रही छलजीत रही है बल|२.मन वैरागीस्मृतियों का काननकरे मगनचुनो सुहाने पलमहकेगा आँचल|३.लेखनी हंसमन मानसरोवरशब्दों के मोतीचुगता...
View Articleस्त्री एक-विशेषण अनेक
स्त्री एक-विशेषण अनेकस्त्रियों का जावन हमेशा से दूसरों का मोहताज रहा है| स्त्री सबसे सहज और सरल विवाह के पहले बेटी और बहन के रूप में रह पाती है| किन्तु बचपन से ही यहाँ भी उसे मानसिक रूप से तैयार किया...
View Articleकाव्य का है प्यार हिन्दी
हिन्द का श्रृंगार हिन्दीभाव का है सार हिन्दीदेव की नगरी से आईज्ञान का भंडार हिन्दीलोकगीतों में बसी यहहै मधुर संसार हिन्दीडाल पातें झूमती सीगा रहीं मल्हार हिन्दीछंद गजलों में महकतीकाव्य का है प्यार...
View Articleसुनो पथिक अनजाने तुम
कविताओं में "तुम "शब्द का प्रयोग कविता को व्यापक विस्तार देता है...उसी विषय पर आधारित रचना...सुनो पथिक अनजाने तुमलगते बड़े सुहाने तुमकविताओं में आते होअपनी बात सुनाने तुमजब भी आँखें नम होतींआ जाते...
View Articleगुनगुनी सी धूप आई
गुनगुनी सी धूप आईशरद बैठा खाट लेकरमूँगफलियों को चटकतामिर्च नींबू चाट लेकरफुनगियों से हैं उतरतीहौले झूमती रश्मियाँफुदक रहीं डाल डाल परचपल चंचला गिलहरियाँचौपालों पर सजी बजींतरकारियाँ, हाट लेकरगुनगुनाती...
View Articleक़ातिल हूँ मैं
क़ातिल हूँ मैंहाँ, क़त्ल करती हूँहर दिन क़त्ल करती हूँकुछ मासूम नन्हें ख्वाब काकभी रुई के फाहे जैसेसफ़ेद निश्छल स्वप्न कामिटा देती हूँअनुभव के कठोर धरातल पर उपज आए आशाओ के इन्द्रधनुष कोहाँ दे देती हूँ...
View Articleपरिवर्तन
अपनी ही तपनवह झेल न पातासाँझ ढले सागर की गोद में धीरे से समातानहा धो कर नई ताजगी के साथ वह चाँद बन निकल आताचाँदनी का दामन थामशुभ्र उज्जवल प्रभास सेजग को शीतल मुस्कान दे जाताहाँ, साँझ ढलते ही वह प्रेमी...
View Articleसखी री..........
सखी री..........भ्रमर ने गीत जब गायापपीहा प्रीत ले आयाशिखी के भी कदम थिरकेसखी री, फाग अब आया |बजी जो धुन मनोहर सीथिरक जाए यमुन जल भीविकल हो गा रही राधासखी री मोहना आया|कली चटखी गुलाबों कीजगे अरमान...
View Articleवह प्यारी सी लड़की...
वह प्यारी सी लड़की...वह प्यारी सी लड़कीभरना चाहती थीआँचल में अपनेएक मुट्ठी आसमानब्रह्म से सांध्य निशा तकपूर्व से पश्चिम दिशा तकगगन का हर रंगप्राची का हर छंदइंद्रधनुषी ख्वाबबटोर लाती आँचल में|प्रात की...
View Articleअभिवंचित...
अभिवंचित...कुछ उनके दिल की सुनेंकुछ उनके मन को गुनेंत्रुटिपूर्ण तन मन से हमचलकर कोई ख्वाब चुनें|बन्द हैं दृगों के द्वारस्याह है जिनका संसारउनके अंतस-ज्योति मेंसंग चलें पग दो चार|ब्रम्हा ने जिह्वा दी...
View Articleएक मुट्ठी आसमान ....
एक मुट्ठी आसमान ....कल रात सपने में मिलामेरे हिस्से का आसमानभगवान ने कहा, यहाँ जो भी सजाना चाहोजैसे भी सजाना चाहोवह तुम्हारी मर्जी हैमैंने झट से सूरज उठायाउसे टाँगकर सोचाअब कभी रात न होगीफिर अगले ही पल...
View Articleकहर
कह रहे इसेनेकियों का शहरबरपाया कौनयहाँ पर कहरकाटे जातेवन हरे हरेढोती नदियाशव सड़े सड़ेसहमी सहमी सी चली हवासुबकी सुबकी सी लगी फिजामौन सनसनीदिखे हर पहरवन्य जातियाँखोजतीं निशाँभूले मयूरमेघ आसमाँबुलबुल...
View Article"हिन्दी समालोचना: उद्भव, विकास तथा स्वरूप''
आलोचना या समालोचनाकिसी वस्तु/विषय की, उसके लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उसके गुण-दोषों एवं उपयुक्ततता का विवेचन करने वाली साहित्यिक विधा है। हिंदी आलोचना की शुरुआत १९वीं सदी के उत्तरार्ध में भारतेंदु...
View Articleजलता दीपक द्वारे द्वारे
राम सिया अरु लखन पधारेजलता दीपक द्वारे द्वारेअवधपुरी में मनी दिवालीउजली हुई जो निशा थी कालीरघुवर जी को राह दिखानेझूम रही थी लौ मतवालीबने घरौंदे प्यारे प्यारेसजे खिलौने न्यारे न्यारेजलता दीपक द्वारे...
View Articleभटकन - लघुकथा
भटकन-''नेहा, आज शाम को मुकेश के यहाँ पार्टी है, उसकी बेटी का जन्मदिन है, तैयार रहना'',दफ्तर से पंकज ने फोन किया|''मगर मैं कैसे जा पाऊँगी, माँजी घर में अकेली रह जाएँगी'',नेहा ने मद्धिम स्वर में कहा|''तो...
View Articleदर्द की पूर्णाहुति
मन के अपरिमित वितान परबिछे हुए हैं शब्द अथाहकुछ कोमल कुछ तपे हुएकुछ हल्के कुछ सधे हुएअधर द्वार पर टिक जातेनिकल पड़े तो बिक जातेसरस सौम्य अरु कोमल शब्दकोई सके न उनको तोलप्रताड़ित अभिशापित शब्दसिमट जाते...
View Articleकुछ फेसबुकिया पोस्ट
ऋता शेखर 'मधु'21 hrs · Edited · माँ...बदल दिये मैंने घर के पुराने फर्नीचरसिर्फ रख लिया है वह ड्रेसिंग टेबलजहाँ तुम अपनी बिंदियाँ चिपका दिया करती थीऋता*Like · · SharePrahriof Mycountry, Manoj Raj,...
View Articleकभी बैठ भी जाया करो
कभी बैठ भी जाया करो... सहेलियो, आज बस तुमसे बातें करने की इच्छा हो गई|घर के कामकाज में उलझे रहते हैं हम हमेशा, कभी साथ बैठकर बोल बतिया भी लिया करो|अच्छा, ये बताओ कि आज कामवाली आई या नहीं| अ र र नहीं...
View Articleसांवरे की मनुहार
वसुधा मिली थी भोर से जब, ओढ़ चुनरी लाल सी।पनघट चली राधा लजीली, हंसिनी की चाल सी।।इत वो ठिठोली कर रही थी, गोपियों के साथ में ।नटखट कन्हैया उत छुपे थे, कंकड़ी ले हाथ में ।१।भर नीर मटकी को...
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