ओ बटोही...
चित्र गूगल से साभारओ बटोही रोज सवेरेतुम मेरे घर आनाखोल अपनी लाल पोटलीजग में रश्मि बिखरानानव मुकुलित पुष्पों से छनकरस्वर्ण प्रभा बिखरातेपाकर उजास जग जग जातापंछी गीत सुनातेजलते चुल्हे धुआँ उड़ातेपंछी शोर...
View Articleगुलमोहर की ओट
१८धरती रानी सोहती, पहन हरित परिधान,क्यारी क्यारी सज गए, सकल सलोने धान|सकल सलोने धान, देख कृषक जिया हर्षा,जुटा रही आहार, मस्त मतवाली वर्षा|सावन की सौगात, सुता की गोदी भरती,पहन हरित परिधान, सुहानी लगती...
View Articleपल का पंछी
पल का पंछी-------------------याद रखना नौनिहालोंबीता समय आता नहींपल का पंछीभाग रहा हैसजग हमेशाजाग रहा हैबिना परिश्रम कोई भीसेव मीठे खाता नहींघडी के काँटेडोल रहे हैंकर लो उपयोगबोल रहे हैंधरा को तप्त हुए...
View Articleबसंत को नेवता
सूरज ने भेजाबसंत को नेवतामीठी बयार मेंआम्रतरु झूलतेकोयलिया गा रहीबौर भी फूलतेभीनी सुगंध कोकुँज भी सेवताझूलों में पेंग हैगेंदें खिल रहेमक्को और बेर संगज्ञान गान गूँज रहेमीठी बयार मेंस्वप्न नाव खेवताआँगन...
View Articleमाँ बागेश्वरी
माँ बागेश्वरी को समर्पित गीत...कुसुमाकर आकर मुस्कायेवीणावादिनी आईंनवल राग की मधुर रागिनीझंकृत करते मन के तारनम्र बनाएँ मधुर भाषिणीविद्या से भर दें संसारनई स्लेट पर "ॐ"की भाषापुस्तकधारिणी लाईंश्वेत हंस...
View Articleआया बसंत
बसंत...फूली सरसोसज गए खेतमन मेराबासंतीताल तलैयापोखर पोखरमस्त पवन मेंखोकर खोकरझूमे मोहककुसुम कुमुदनीआम्रकुँज मेंबौर सजे हैंकूक बनी रसवंतीफागुन आएभँवरें गाएँफाग राग मेंदहके पलाशबनती चंपाशिव...
View Articleमित्रता
मित्रता...............सूरज को देखो जरावह दोस्ती निभाता हैजाने से पहले चाँद को रौशनी दे जाता हैसागर चाँद से मिलनेपूनम को जाता हेकौन कहता धरती सेअम्बर कभी मिलता नहींदर्द बाँटने वह क्षितिज परतत्परता से...
View Articleहुई बंसरी मौन
अनुरागी भँवरा करे, कड़े काष्ठ पर छेदशतदल में कैदी बने, कैसा है यह भेदकैसा है यह भेद, समझ नहिं पाता कोईहुई बंसरी मौन, राधिका नैन भिगोईअरुण उषा के संग, भोर की लाली जागीपूनम की है रात, चकोर हुआ...
View Articleचुनरी फैली भोर की
28.आए हैं ऋतुराज अब, हुलस रहे हैं बाग़कलियाँ सब खिलने लगीं, भँवरे गाएँ रागभँवरे गाएँ राग, फूलती सरसो पीलीअनुरागी हैं सूर्य , पंचमी बनी सुरीलीउड़ते हैं पुखराज, फाग राग सुनाए हैंभर देने को रंग, बसंतराज आए...
View Articleतुम सृष्टि...
तुम सृष्टि...नम्रता से झुकती हुईप्यार का सहारा लिएमौली सी पावनधरा से धैर्य लेकरसतत बढ़ने का संदेशअक्षर में मौलिमणिऊँ का तत्व लिएवक्त की बंजारनसौन्दर्य का दुलार लेकरगुलमोहर जैसी जिजीविषा मेंधरती...
View Articleप्रमाणिका छंद
प्रमाणिका छंद--नदी चली तरंग में, हवा बही उमंग मेंबहार ही बहार है, उड़ी हुई पतंग मेंबसंत राग गा रहा, खिले हुए गुलाब मेंउदास पारिजात भी, हँसे हसीन ख्वाब मेंसमीर गंध से भरा, शिरीष फूलने लगेपलाश की सुवास...
View Articleधरा संपदा (गीत)
धरा संपदा (गीत)------------------------आज ब्रम्हांड है देख रहा अपनी ही तस्वीरउमड़ घुमड़ कर आए बादलगगन है बे-नजीरवसुधा के आँचल में बिखरीहरियाली अनमोलयही बसे हैं प्राण हमारेमनुज समझ ले मोलनहीं रौंद तू...
View Articleकलम...
वह नन्हा सा बालकउन्मुक्त आकाश में उड़ान का स्वप्न लिएचुनता था दूध की पन्नियाँबीनता था टूटी काँचजमा करता बिसलरी की बोतलेंजब बोरे भर जातेशान से कंधे पे उठा इस तरह से चलताजैसे कोई खजाना हाथ लगा होबेच देता...
View Articleखिल कर महका मोगरा
ये दोहे अनुभूति पर प्रकाशित हैं|नभ में खिलता चन्द्रमा, नीचे बेला फूल।कुशल चितेरे ने रचा, लतिका को बिन शूल।।१खिल कर महका मोगरा, घुली पवन में गंध।अनुरागी बन अलि कली, बना रहे अनुबंध।।२जहाँ बसा है मोगरा,...
View Articleग़ज़ल
एक ग़ज़ल...मुकाबिल आंधियों के दीप जलना भी जरूरी थामुसीबत लाख आये ख्वाब पलना भी जरूरी थाअदब के साथ राहों पर चले थे हम सदा साथीवही देने लगे बाधा बदलना भी जरूरी थालगी ठोकर जमाने से कदम भी लड़खड़ाए थेहँसी में...
View Articleबूँदें...
सावन का बूँदों से अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है| प्रस्तुत है .......बूँदें...----------------------------------------------------------आसमान की नई कहानीधरती पर ले आतीं बूँदेंतपी ग्रीष्म में भाप बनीं वोफिर...
View Articleबिना जाने किसी को भी कहानी क्यों बनाते हैं
बह्र 1222-1222-1222-1222मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुनकाफ़िया- आतेरदीफ़- हैंबिना जाने किसी को भी कहानी क्यों बनाते हैंइधर कहते उधर कहते खुदा को भूल जाते हैंकिसी अनजान राहों पर मिले रहमत खुदाई...
View Articleवो रस्मो रिवाजें निभाने की रातें
बह्र 122-122-122-122फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुनकाफ़िया- आनेरदीफ़- की रातेंवो रस्मो रिवाजें निभाने की रातेंहै चारो तरफ मुस्कुराने की रातेंकहीं छा रही है पपीहे की सरगमकहीं जाफ़रानी मुहब्बत की रातेंकुबूली गई है...
View Articleकाली कोयल सुर मधुर-कुंडलिया छंद
33.काली कोयल सुर मधुर, गुण का करे बखानसूरत से सीरत भली, देती है संज्ञानदेती है संज्ञान, सदा सद्भावी रहनानम्र रहे व्यवहार, वही मानव का गहनामनहर हो जब पुष्प, पुलक जाता है मालीकानों में रस घोल, कूकती...
View Articleकर लो हिन्दी से मुहब्बत दोस्तो
कर लो हिन्दी से मुहब्बत दोस्तोहै बड़ी उसमें नज़ाकत दोस्तोरूह तक में वो समाती जा रहीलफ्ज़ में रखती नफ़ासत दोस्तोदेश में अपने फले फूले सदाहर ज़ुबाँ की है क़राबत दोस्तोबोल अपनापन भरा कहती सदाहै यहाँ माँ...
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