सूरज ने भेजा
बसंत को नेवता
मीठी बयार में
आम्रतरु झूलते
कोयलिया गा रही
बौर भी फूलते
भीनी सुगंध को
कुँज भी सेवता
झूलों में पेंग है
गेंदें खिल रहे
मक्को और बेर संग
ज्ञान गान गूँज रहे
मीठी बयार में
स्वप्न नाव खेवता
आँगन की चिड़िया
भोर में कूदती
नीम की टहनियाँ
मुनिया को चूमती
पीले परिधान में
जाग रहे देवता
*ऋता शेखर मधु*