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Channel: मधुर गुँजन
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तुम जिन्दा हो - लघुकथा

 तुम जिन्दा हो आइने के सामने खड़ा होकर वह सोच रहा था, “वो कौन सी शक्ति थी जो बार बार उससे कह रही थी - कूद जाओ, तुम्हारी किसी को जरूरत नहीं|”सेन फांसिसको के गोल्डन ब्रिज से वह प्रायः गुजरता था फिर उस...

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एक शपथ-स्वतंत्रता दिवस के लिए

जन कल्याण की लिए मशालहम सबको बढ़ते जाना हैजन हित हो जीवन का मकसददुनिया में अलख जगाना हैसाफ सुलभ रस्तों पर चलकरबन्धु बान्धव घर को जाएँकहीं मिले न कूड़ा कचराप्रयत्न सदा यहीं कर आएँगली मुहल्ले मह मह...

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धनवान-लघुकथा

धनवान मुसलाधार बारिश में माया छतरी लेकर जल्दी जल्दी घर जा रही थी|''अरे माया, गाड़ी में आ जा"अचानक माया के बगल में एक बड़ी सी कार रुकी और ऐश्वर्या ने दरवाजा खोला|''मैं चली जाऊँगी''''अब आ भी जा न|''माया...

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कोरे विचार-लघुकथा

कोरे विचारअनन्या और तुषार दोनो मल्टीनेशनल कम्पनी में इंजीनियर थे| एक प्रेजेंटेशन के दौरान दोनो एक दूसरे से मिले| तुषार को अनन्या अच्छी लगी तो उसने अपने माता पिता को बताया|आज तुषार के घरवालों ने अनन्या...

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आज मैं...सबका दुलारा कृष्ण हूँ

आज मैं....आज मैंदेवकी का दर्दयशोदा का वात्सल्यराधिके का प्रेमरुक्मिणी का खास हूँआज मैवासुदेव की चिंतानंद का उल्लासगोपियों का माखनचोरपनघट का रास हूँआज मैंकंस का संहारककालिया का कालसुदामा का सखायोगमाया...

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अँकुर-लघुकथा

1.बीज का अँकुर पन्द्रह दिन पहले सोनाली की शादी हुई थी| सोनाली के मम्मी-पापा बेटी से मिलने ससुराल आए थे| सोनाली के सास, ससुर, ननद, देवर सबने दिल खोलकर स्वागत किया|थोड़ी देर बाद ससुर जी ने कहा,”बहु, अपने...

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सोई आत्मा-लघुकथा

सोई आत्माएम्बुलेंस तेज हॉर्न बजाती अस्पताल के दरवाजे पर लग चुकी थी| स्ट्रेचर को भीतर ले जाने के लिए कर्मचारियों के दल के साथ डॉक्टर भी आया| डॉक्टर ने मरीज को आई सी यू में भरती किया और जाँच में लग गया|...

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युग का दास - लघुकथा

युग का दास “ये लीजिए जजमान सामान की लिस्ट| प्राणी की अत्मा को तभी शान्ति मिलेगी जब ये सारी वस्तुएँ दान करेंगे| दान की गई सारी वस्तुएँ सीधे स्वर्ग जाएँगी जहाँ आपके पिता इनका उपयोग करेंगे,” पंडित जी ने...

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बेपेंदी का लोटा-लघुकथा

बेपेंदी का लोटा“वेतनमान के लिए जबरदस्त रैली है| हम सभी कर्मचारियों को उसमें अवश्य भाग लेना चाहिए|”मुकेश वर्मा ने जोशीले स्वर में कार्यालय में सभी कर्मचारियों का आह्वान किया|“बिल्कुल भाग लेना चाहिए|...

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हर भूले को राह दिखाना बनकर दीपक बाती--ललित छंद

सार/ललित छंद-- 16-12१.टिक टिक करती घड़ियाँ बोलीं, साथ समय के चलनासोने से सो जाते अवसर, मिलता कोई हल नानींद देश की सुखद छाँव में,बतियाते हैंसपनेश्रम का सूरज साथ चले तो, हो जाते हैं अपने२.अँधियारी रातों...

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विमाता-लघुकथा

विमाताकरीब एक साल पहले माँ न बनने की शर्त पर तीन सयाने बच्चों की माँ बन कर रेवा इस घर में आई थी| बच्चे सगी माँ का स्थान किसी अन्य को देने को तैयार न थे| बच्चों ने एक दूरी बना रखी थी जिसे रेवा पार नहीं...

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लघुकथा- चिपको

लघुकथा- चिपकोनन्हें अतुल का घर बहुत बड़ा था| उस घर में उसके पापा- मम्मी, दादा- दादी और चाचा रहते थे| बड़े घर का आँगन भी बहुत बड़ा था|“क्यों न आँगन वाली जमीन में दो कमरे बना दें और किराए पर दे दें|...

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हम भारत की बेटियाँ, देंगे अरि को मात

वीरों को नमन...हँसते हँसते देश पर, जो होते कुर्बानभारत को आज भी, उनपर है अभिमानशोकाकुल सरिता थमी, थमे पवन के पाँवगम में डूबा है नगर, ठिठक रही है छाँवलोहित होता है गगन, सिसक रहे हैं प्राणइधर बजी है शोक...

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ठोस रिश्ता-लघुकथा

ठोस रिश्ता“अब मैं रिया के साथ नहीं रह सकता| उसका रोज रोज देर से घर आना मुझे पसंद नहीं| नौकरी करने का मतलब यह नही कि घर को वह नेग्लेक्ट करे|”“नहीं बेटा, ऐसा मत सोचो| रिया एक समझदार लड़की है| वह काम के...

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कुछ नया-लघुकथा

कुछ नया‘हरिहर प्राथमिक विद्यालय’ के उद्घाटन समारोह में नरेन भी आया था| वहाँ कई अवकाशप्राप्त वरिष्ठ  योगदान देने को इच्छुक थे|नरेन को एक साल पहले की बात याद आ गई|‘पापा, आपको रिटायरमेंट के जो पैसे मिले...

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पागल-लघुकथा

पागल नये साल की वह पहली किरण धरती पर आने को कसमसा रही थी|बर्फीली हवा के बीच सूर्यदेव अब तक धुंध का धवल कंबल ओढ़े आराम फरमा रहे थे । सुबह के नौ बज चुके थे| अनुराधा ने पूजा की थाली तैयार की और ननद के...

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कृषक कवि घाघ की कहावतें

भारत एक कृषि प्रधान देश है|आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान किसान कवि घाघ व भड्डरी की कहावतें...

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भूख-लघुकथा

“अरे ओ रामू, उठ रे, उत्तर से पानी बढ़ता ही जा रहा है| हमारी मकई खराब हो जाएगी रे| अब का होगा”“चिन्ता ना कर कलुआ, जो भगवान पेट दिया है वोही अनाज भी देगा|”“भगवान का करेगा| बाढ़ लाकर वोही तो तबाह करता है|...

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हम उन्हें आफ़ताब कहते हैं-ग़ज़ल

हम तो दिल की किताब कहते हैंआप जिसको गुलाब कहते हैंजो उलझते रहे अँधेरों सेहम उन्हें आफ़ताब कहते हैंधर्म के नाम पर मिटेंगे हमउस गली के जनाब कहते हैंहुक्म की फ़ेहरिस्त लम्बी हैशौहरों को नवाब कहते हैंतोड़...

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जगमग दीप जले

यह गीत 'अनुभूति'पर प्रकाशित है|नवगीतनए नए दीपों की मालापथ में रोज सजाना प्रियवरअँधियारी रातों के साथीजगमग कर बन जाना प्रियवरजिनके दृग की ज्योति छिन गईउनके मन को रौशन करनाद्वार रंगोली जहाँ मिटी हैतँह...

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