कोरे विचार
अनन्या और तुषार दोनो मल्टीनेशनल कम्पनी में इंजीनियर थे| एक प्रेजेंटेशन के दौरान दोनो एक दूसरे से मिले| तुषार को अनन्या अच्छी लगी तो उसने अपने माता पिता को बताया|
आज तुषार के घरवालों ने अनन्या के माता-पिता को बुलाया था|
“हमने अनन्या को अच्छी शिक्षा दी है| अच्छे पैकेज वाली नौकरी भी लगी है उसकी| हमें लगता है लेन देन जैसी कोई बात न होगी| लड़का लड़की ने एक दूसरे को पसंद कर लिया है| हमें पंडित जी से शुभ मुहुर्त निकलवा कर ही जाना चाहिए,” रास्ते में अनन्या की मम्मी बोले जा रही थीं|
तुषार के घर उनके स्वागत में कोई कमी नहीं की गई| बातों का क्रम आगे बढ़ा|
“देखिए, हम लेन देन की बात नहीं कर रहे| दोनों खुश रहें इससे बढ़कर हमें क्या चाहिए| बाकी लड़की को कपड़े, गहने, गाड़ी जो कुछ भी दें उससे हमें कोई मतलब नहीं| बस इंगेजमेंट, शादी और रिसेप्शन टॉप होटल में करें और वह खर्च उठा लें| शादी बार बार नहीं होती तो यह सब यादगार होना चाहिए| वो क्या है न कि तुषार की अच्छी शिक्षा में हमारा बैंक बैलेंस... ”
“बैंक बैलेंस तो हमारा भी...” सोचती हुई बिना दहेज की शादी के कोरे विचार पर हँस दी अनन्या की मम्मी|
--ऋता शेखर ‘मधु’
--ऋता शेखर ‘मधु’