अभिनंदन राम का
अभिनंदन राम काभारत की माटी ढूँढ रहीअपना प्यारा रघुनंदनभारी भरकम बस्तों मेंदुधिया किलकारी खोई होड़ बढ़ी आगे बढ़ने कीलोरी भी थक कर सोईमहक उठे मन का आँगनबिखरा दो केसर चंदनवर्जनाओं की झूठी बेड़ीललनाएँ अब तोड़...
View Articleमातृदिवस
कल माँ पर लिखा...आज एक माँ लिखेगी ।हम उनके दिलों में रहते हैंइसको वे कहते नहींउनके काम बताते हैंलेखनी थामी जब हाथों मेंवे ब्लॉग बनाकर खड़े रहेममा को तुक की कमी न होशब्दों के व्यूह में पड़े...
View Articleआप अच्छे हो - लघुकथा
लघुकथा-पितृदिवस पर आप अच्छे हो "निभा, कहाँ है हमारी लाडली बिटिया। देखो!हम तुम्हारे लिए क्या लाये हैं।"घर में घुसते ही नीलेश ने बड़े प्यार से तेज आवाज़ में कहा । सामने विभा खड़ी थी। उसने इशारे से बताया कि...
View Articleमल्लिका व अनंग शेखर छंद
मल्लिका छंद 21 21 21 21....(212 121 21)1दूब से मिलें गणेश।प्रेम ने किया प्रवेश।।दान मान ज्ञान संग।श्वाँस श्वाँस मे उमंग।।2है जिया उदास आज।वीतराग छेड़ साज।।मंद मंद है समीर।क्यों पपीहरा अधीर?।।3सिंधु में...
View Articleनलिन की वापसी - कहानी
नलिन की वापसी सुपर फ़ास्ट ट्रेन तीव्र गति से अपने गंतव्य की ओर बढ़ती जा रही थी| जनरल डब्बे की निचली बर्थ पर खिड़की के पास बैठी सुमेधा पवन के शीतल झोंकों का आनन्द ले रही थी| मन के भीतर की खुशियाँ...
View Articleजिन्दगी को सार देना-गीतिका
मनोरम छंदमापनी-2122.2122***************************गीतिका पदांत - देनासमांत- आर***************************जिन्दगी को सार देनानेह को विस्तार देनाफूल की चाहत सभी कोशूल को भी प्यार देनाराह में फिसलन बहुत...
View Articleग्रीष्म
ग्रीष्म ऋतु ============ ग्रीष्म की दुपहरिया कोयल की कूक से टूट गयी काँच सी छत पर के पँखेसर्र सर्र नाच रहेहाथों में प्रेमचंदनैंनों से बाँच रहेनिर्मला की हिचकियाँ दिल में हैं खाँच सी कोलतार पर खड़े झुंड...
View Articleजिन काँधों पर चढ़कर झूले-ललित छंद
विधा- ललित छंद (सार छंद)... 16-12 पर यति अंत में वाचिक भार 22, कुल चार चरण, दो-दो चरण में तुकांत अनिवार्य है. नेह-सिक्त निर्मल धारा से , मिलती कंचन काया | अम्बर जैसा प्यार पिता का, शीतल माँ का साया ||...
View Articleपत्र...किसके नाम?
फेसबुक पर एक समूह में पत्र लेखन प्रतियोगिता थी|62 प्रविष्टियों में...अच्छे पत्रों में हमारे पत्र को भी रखा गया इसके लिए खुश हूँ 😊अब आप सब भी पढ़िए।पुणे 29/06/2019प्रिय रौशन,सदा प्रसन्न रहो। अपनी रौशनी...
View Articleसबकी अपनी राम कहानी - गीत
सबकी अपनी राम कहानी=================जितने जन उतनी ही बानीसबकी अपनी राम कहानीऊपर ऊपर हँसी खिली हैअंदर में मायूस गली हैकिसको बोले कैसे बोले अँखियों में अपनापन तोलेपाकर के बोली प्रेम भरीआँखों में भर जाता...
View Articleछंद-सोरठा
सोरठाहर पूजन के बाद, जलता है पावन हवन।खुशबू से आबाद,खुशी बाँटता है पवन।।1प्रातःकाल की वायु , ऊर्जा भर देती नई।बढ़ जाती है आयु, मिट जाती है व्याधियाँ।।2छाता जब जब मेह, श्यामवर्ण होता गगन।भरकर अनगिन नेह,...
View Articleअपनी अपनी नौकरी-लघुकथा
अपनी अपनी नौकरीसरकार की ओर से जमींदारी प्रथा खत्म हो चुकी थी।फिर भी लोकेश बाबू जमींदार साहब ही कहलाते थे।उनके सात बेटे शहर में रहकर पढ़ाई करते और लोकेश बाबू मीलों तक फैले खेत की देखरेख और व्यवस्था में...
View Articleधुँधली आँख-लघुकथा
धुँधली आँखचारो तरफ ॐ कृष्णाय नमः की भक्तिमय धूम मची हुई थी। देवलोक में बैठे कृष्ण इस कोशिश में लगे थे कि किसी की पुकार अनसुनी न रह जाये। कृष्ण के बगल में बैठे सुदामा मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।"रहस्यमयी...
View Articleसोरठे
सोरठेस्वप्न हुए साकार, जब कर्म की राह चले।गंगा आईं द्वार, उनको भागीरथ मिले ।।1नारी का शृंगार, बिन्दी पायल चूड़ियाँ।पहन स्वप्न का हार, नभ मुठ्ठी में भर चलीं।।2नन्हें नन्हें ख़्वाब, नन्हों के मन में...
View Articleतुझको नमन
सबको राह दिखाने वालेहे सूर्य! तुझको नमननित्य भोर नारंगी धारआसमान पर छा जातेखग मृग दृग को सोहेऐसा रूप दिखा जातेआरती मन्त्र ध्वनि गूँजेतम का हो जाता शमनहर मौसम की बात अलगशरद शीतल और जेठ प्रचंडभिन्न भिन्न...
View Articleलगता नया नया हर पल है
गीत जाना जीवन पथ पर चलकरलगता नया नया हर पल हैधरती पर आँखें जब खोलींनया लगा माँ का आलिंगननयी हवा में नयी धूप मेंनये नये रिश्तों का बंधनशुभ्र गगन में श्वेत चन्द्रमालगता बालक सा निश्छल हैनया लगा फूलों का...
View Articleमेरा हिन्दुस्तान, जग में बहुत महान है - सोरठे
सोरठे - हिन्दी पखवारा विशेष छंदमेरा हिन्दुस्तान, जग में बहुत महान है।हिन्दी इसकी जान, मिठास ही पहचान है।।व्यक्त हुए हैं भाव, देवनागरी में मधुर।होता खास जुड़ाव, कविता जब सज कर मिली।।कोमलता से पूर्ण, अपनी...
View Articleअस्तित्व
"अस्तित्व"दिल की धड़कन बन्द होती सी महसूस हो रही थी। मैंने झटपट मशीन निकाली और कलाई पर लगाया। नब्ज रेट वाकई कम था। "ओह, क्या तुम मुझे कुछ दिनों की मोहलत दे सकती हो प्रिय", मैंने डूबते स्वर में उसका हाथ...
View Articleकैसा मिला है साथ
कैसा मिला है साथशीतल उष्ण मिल गएजैसे तुम और हमचक्र घूम कर बता रहाकभी खुशी या गमजो पिघला वह ठोस हुआजीवन अनबुझ राजपतझर की लीला बड़ीबजा बसन्त का साजसूर्य बिना वह कुछ नहींचँदा का मन जान रहाकहाँ तपन घट...
View Articleदोहों के प्रकार 1- भ्रमर दोहा
दोहों के प्रकार पर आज की कार्यशाला 1-भ्रमर दोहादोहों के तेईस प्रकार होते है। वैसे 13-11के शिल्प से दोहों की रचना हो जाती है जिनमें प्रथम और तृतीय चरण का अंत लघु गुरु से तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण का अंत...
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