Quantcast
Channel: मधुर गुँजन
Viewing all articles
Browse latest Browse all 491

आप अच्छे हो - लघुकथा

$
0
0






लघुकथा-पितृदिवस पर आप अच्छे हो 

"निभा, कहाँ है हमारी लाडली बिटिया। देखो!हम तुम्हारे लिए क्या लाये हैं।"घर में घुसते ही नीलेश ने बड़े प्यार से तेज आवाज़ में कहा । सामने विभा खड़ी थी। उसने इशारे से बताया कि निभा अपने कमरे में है। आज दोपहर में निभा का बारहवीं के रिजल्ट आया था। उसका प्रतिशत सहपाठियों के मुकाबले काफ़ी कम था। जब से रिजल्ट आया था, वह आंखों में आँसू लिए बैठी थी। दिन का खाना भी नहीं खाया था उसने। उसकी मम्मी विभा ने नीलेश को फ़ोन करके सब बातें बतायी। 
"अरे, मेरी बिटिया कहाँ है"नीलेश ने बिल्कुल उसी अंदाज में कहा जैसे बचपन में वह बेटी के साथ खेला करता था और सामने देखकर भी नहीं देखने का नाटक किया करता था। निभा ने अपना सिर ऊपर नहीं किया। वैसे ही मूर्तिवत बैठी रही। 
"निभा, देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ"कहते हुए नीलेश ने नन्हा सा टेड्डी निकाला और सामने रख दिया। निभा ने उदास नजर टेड्डी पर डाली। पहले की बात रहती तो वह नीलेश के गले लग जाती। 
"निभा, देखो मैं पटीज़ लाया हूँ और आइसक्रीम भी वही जो फ्लेवर तुम्हें पसन्द है।"यह कहकर उसने दोनों चीज़ें निभा के सामने रख दीं। 
"पापा, प्लीज, मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैंने आपके उम्मीदों को तोड़ा है। आपने मुझे हर सुविधा दी, और देखिए मैं कितनी नालायक निकली।""मेरी बेटी और नालायक, कभी नहीं। मुझे सिर्फ तुम चाहिए बेटा। तुमने प्रयास किया वही हमारे लिए बहुत है...अब चलो, हमलोग जश्न मनाते हैं। विभा, इधर आ आओ"कहते हुए नीलेश ने निभा के मुंह में बड़ा सा चम्मच डाल दिया आइसक्रीम वाला। 
एकसाथ इतनी ठंडा आइसक्रीम मुंह में जाते ही वह उठकर पापा के गले लग कर जोर से रो पड़ी। नीलेश ने उसे रो लेने दिया।अब वह नन्हीं बच्ची नहीं थी जो फुसल जाती। नमी नीलेश की आँखों में भी उतरी पर वह खुशी बिटिया को वापस पा लेने की थी। 
अचानक निभा धीरे से बोली,"आप बहुत अच्छे हो पापा"निभा की गम्भीर आवाज ने नीलेश को अंदर से रुला दिया। --ऋता शेखर मधु

Viewing all articles
Browse latest Browse all 491

Trending Articles