हँसते हुए पलों को रखो तुम सँभाल कर
लफ्जों में प्रीत पालकर उनको निहाल करदुखती हुई रगों से कभी ना सवाल करमिलती रही हैं मुश्किलें जीवन की राह मेंहँसते हुए पलों को रखो तुम सँभाल करमाना तेरी हर बात पर मुझको रहा यकींअब जिंदगी से पूछकर तू ना...
View Articleरुख़ की बात को हवा जाने
चित्र गूगल से साभार2122 1212 22क्वाफ़ी-आ/ रदीफ-जानेरुख़ की बात को हवा जानेहर दुआ को वही खुदा जानेजो लगी ना बुझी जमाने मेंइश्क की दास्ताँ वफ़ा जानेख़ाक में मिल रहे जनाज़े जोक्यों नहीं दे रहे पता जानेनेक...
View Articleकॉमन एरिया
कॉमन एरिया"दीदी, सीढियों पर अँधेरा क्यों है|"मोना ने अन्दर आते हुए कहा तब तक रमा ने लाइट जला दी थी|आज बहुत दिनों बाद मोना अपनी बड़ी बहन रमा से मिलने उसकी ससुराल वाले मकान में आई थी| रमा की शादी चार...
View Articleमनमर्जी - लघुकथा
मनमर्जी"माँ, पिताजी, मुझे कुछ सालों के लिए विदेश जाना पड़ेगा। ऑफिस के काम से जाना है"अखिल ने एक दिन ऑफिस से आते ही कहा।"लेकिन बेटा, जाना क्या टल नहीं सकता। तू मेरा अकेला पुत्र है और हमारी नजरों के सामने...
View Articleकवि परिचय-1-गोपाल सिंह नेपाली
गोपाल सिंह नेपाली (1911 - 1963) हिन्दी एवं नेपाली के प्रसिद्ध कवि थे। गोपालसिंह नेपाली का जन्म चम्पारन जिले के बेतिया नामक स्थान पर 11 अगस्त 1911 को कालीबाग दरबार के नेपाली महल में हुआ था। इन्होंने...
View Articleरिटायर्ड-लघुकथा
रिटायर्ड''आइए सर, आपका आना बहुत अच्छा लगा|''वर्तमान प्राचार्य महोदय शर्मा जी पूर्व प्राचार्य सिन्हा जी का स्वागत करते हुए कहा|''घर में बैठे बैठे मन नहीं लग रहा था तो सोचा स्कूल से हो लूँ|''''आपके अनुभव...
View Articleये मिजाज़ है वक़्त का
अपने गम को खुद सहो, खुशियाँ देना बाँटअर्पित करते फूल जब, कंटक देते छाँटये मिजाज़ है वक़्त का, गहरे इसके काजराजा रंक फ़कीर सब, किस विधि जाने राजदुख सुख की हर भावना, खो दे जब आकारवो मनुष्य ही संत है, रहे जो...
View Articleरे मन! तू भीग जा
रे मन! तू भीग जारंगों में प्रीत की हो रही बौछार हैरे! मन तू भीग जाहोली का त्योहार हैपुलक रहा है रोम रोमहुलस रही है रागिनीरुप रस गंध लिएहुई धरा पावनीबसंत बना जादूगर मकरंद का अंबार हैरे मन! तू भीग...
View Articleअब और नहीं...लघुकथा
अब नहीं...घर में विवाह का माहौल था| सभी परिवार जन जुटे थे| हँसी ठिठोली चल रही थी| रसोई में उर्मिला जी खाना बनाने में तल्लीन थीं| बीच बीच में देवरानी रसोई में झाँककर औपचारिकता वश पूछ लेती,’’आपको कुछ...
View Articleछंदमुक्त
1.पाने को किनाराफैसला थामझधार में जाने काडुबकियाँ लगती रहींसीप की मोतियाँ मिलींअब किनारे की चाहचाह न रहीज्ञान की तली ने ठहराव जो दियामिटने लगी थीं अपेक्षाएँजगने लगी पिपासापरमात्मा में लीन होने की2....
View Articleदोहे
1.फूल शूल से है भरा दुनिया का यह पन्थचक्षु सीप में रच रहा बूँदों का इक ग्रन्थ2.ज्ञान डोर को थाम कर तैरे सागर बीचतंतु पर है कमल टिका छोड़ घनेरी कीच3.पहन सुनहरा घाघरा, आई स्वर्णिम भोरदेशवासियो अब उठो,...
View Articleप्राथमिकता-लघुकथा
प्राथमिकता"कुमार साहब, ये फाइलें हैं। आप सबकी सॉफ्ट कॉपी बनाकर अधिकारी को मेल कर दें, आज ही, अर्जेंटली।""लेकिन सर, कल मेरी बेटी का छेका है।आज बहुत सारे काम है। मुझे छुट्टी चाहिए थी।""कुमार साहब, अब ये...
View Articleडील-लघुकथा
डीलकॉफी कैफे में बैठे मोहित और अनन्या औपचारिक बातचीत कर रहे थे। दोनों ही अच्छे पैकेज वाले मल्टी नेशनल कम्पनी में कार्यरत थे। शादी डॉट कॉम वाली साइट से दोनों परिवारों ने अपनी सहमति दी थी।चूँकि दोनों एक...
View Articleसंस्कारहीन
संस्कारहीन'देखिए जी, लेन देन पर हम थोड़ा बात कर लें, फिर बात पक्की ही समझें| आपकी बेटी बहुत संस्कारी है और हमें ऐसी ही लड़की की जरूरत है,'लड़के के पिता ने रोब लेते हुए कहा|'जी, आप जैसा कहैं हम अपनी...
View Articleप्रतिबिम्ब--कुछ भाव कुछ क्षणिकाएँ
बँधे हाथअपने वतन के वास्तेगुलमोहर सा प्यार तुम्हाराअनुशासन के कदम ताल परकेसरिया श्रृंगार तुम्हारा पत्थर बाजों की बस्ती मेंजीना है दुश्वार तुम्हाराचोट सहो तुम सीने परपर कचनारी हो वार तुम्हाराहा! कैसा है...
View Articleयादें हरसिंगार हों
दोहे 1दादी अम्मी टोकते, टोकें अब्बूजानलगा सोलवां साल अब, आफत में है जान2महँगाई की मार से बिलख रहा इंसानजीवनयापन के लिए आफत में है जान 3इधर उधर क्या ढूँढता, सब कुछ तेरे पासनारियल के बीच बसी, मीठी मीठी...
View Articleआ, अब लौट चलें...
कहते हैं जीवन में कभी न कभी हम सब उन सभी चीजों से आकर्षित हो जाते हैं जो सहज उपलब्ध हो| जहाँ वाहवाही मिले वहाँ बार बार जाने की इच्छा होती है| त्वरित मिली प्रतिक्रियाएँ लुभाने लगती हैं और हम भूल जाते...
View Articleटैक्स के आतंक से मुक्ति- जी एस टी (GST)
GST- Goods & Services tax.....इसे good and simple tax के रूप में बताया जा रहा है|30 जून और 1 जुलाई 17 की मध्यरात्रि को GST का लॉन्च समारोह संसद के सेन्ट्रल हॉल में हुआ जिसमें वित्तमंत्री अरुण जेटली...
View Articleदोहे की दुनिया
दोहे1बहन रेशमी डोर को, खुद देना आकार |चीनी राखी त्याग कर, पूर्ण करो त्योहार||2महकी जूही की कली, देखन को शुभ भोरखग मनुष्य पादप सभी, किलक रहे चहुँ ओर3मन के भीतर आग है, ऊपर दिखता बर्फ़।अपने अपनों के लिए,...
View Articleआदर्श घर
आदर्श घरनिकिता का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जहाँ बेटा-बेटी का कोई भेदभाव न था| अच्छे संस्कारों के साथ बड़ी होती हुई दादी की प्यारी पोती निकिता डॉक्टर बन चुकी थी और उसका विवाह हो चुका था|वह भाई की शादी...
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