चैत के महीने में नीम की पत्तियाँ, फूल, फल, छाल आदि का प्रयोग खाने या लगाने के लिए किया जाता है|
इससे काफी रोग दूर भाग जाते हैं| यह सबसे अधिक आक्सीजन देने वाला भी पेड़ है अतः इसके नीचे समय बिताने से शरीर में स्फूर्ति बढ़ती है| इसी आधार पर प्रस्तुत है एक गीत...
निमिया के छाँव तले...
चल री सखी
हम डालें झूले
निमिया के छाँव तले
ए री सखी
हम काहे डालें झूले?
निमिया के छाँव तले
सुन री सखी
चैत में झूमें
नरम कोमल कोंपल
फाहे सा एहसास मिले
शुद्ध हवा साँस मिले
खा लो जो कोंपले
खून भी साफ मिले
निमिया के छाँव तले|१|
चल री सखी
हम चुन लें फुलवा
निमिया के छाँव तले
ए री सखी
हम काहे चुन लें फुलवा?
निमिया के छाँव तले
सुन री सखी
अंजुरी भर चुन लो
भीनी दुधिया फुलवा
पीसो और लगाओ सखी
सूरत निखरती चले
निमिया के छाँव तले|२|
चल री सखी
हम खाएँ निम्बोरी
निमिया के छाँव तले
ए री सखी
हम काहे खाएँ निम्बोरी?
निमिया के छाँव तले
सुन री सखी
थोड़ी सी मीठी
थोड़ी थोड़ी कड़वी
जाए जो तन में
रोग भागे क्षण में
काया निरोगी बने
निमिया के छाँव तले|३
चलो री सखियो
चलो सहेलियों
हम डालें झूले
फुलवा को चुन लें
निम्बोरी भी गुन लें
निमिया के छाँव तले
गाँव सा प्यार पले
निमिया के छाँव तले|४
...........ऋता शेखर ‘मधु’