पुखराजी पुष्प करें
स्वागत मधुमास का
कोहरे को पार कर
अँखुआता घाम है
सरसो पिरिआ गई
महका जो आम है
झूम झूम डालियाँ
करती व्यायाम है
वीणा की रागिनी में
स्वागत है आस का
मन्द मन्द पवन की
शीतल छुअन है
महुआ के गीत में
कमली मगन है
फगुआ के राग की
लागी लगन है
पतंग के परवाज में
स्वागत उल्लास का
प्रेम गीत गाने को
कलियाँ बेताब हैं
मौसम के खाते में
कइयों के ख्वाब हैं
पुस्तक के बीच में
दब रहे गुलाब हैं
बासंती झकोरे में
स्वागत विश्वास का
---ऋता