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Channel: मधुर गुँजन
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सफेद झूठ - लघुकथा

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सफेद झूठ

कम्पनी की ओर से आशु को दो वर्षों के लिए विदेश भेजा गया था| पिता अनिकेत और पुत्र आशु विडियो कॉल से ही बातें करते|

इधर कई दिनों से अनिकेत की बात बेटे आशु से नहीं हो पा रही थीं| फोन पर भी एक दो शब्दों में आशु का जवाब देना अनिकेत को सशंकित कर रहा था| 
आज अनिकेत से नहीं रहा गया तो उसने विडियो कॉल पर आशु को बुलाया| रात के आठ बज रहे थे और सोफे पर पसरा आशु पेट पर ही लैपटॉप रखकर बातें करने लगा| 

कुशलक्षेम पूछने के बाद अचानक अनिकेत ने कहा,''बेटे, नौकरी करते हुए तुम्हें पाँच वर्ष हो गए| अब विवाह कर लेना चाहिए तुम्हें| कोई लड़की पसन्द है तो बता दो , या हम यहाँ लड़की देखें|''

''पापा, मैं आपलोगों की पसन्द की लड़की से ही शादी करूँगा| पर जब मैं वापस आऊँ तभी बात बढ़ाना|''आशु हड़बड़ी में बोल गया| 

आशु को दादी माँ की हिदायत याद आ गई थी कि शादी के लिए उन्होंने लड़की देख रखी है |

अनिकेत ने यह कहकर कॉल समाप्त कर दिया,''बेटा, वापस लौटना तो बहु को साथ लेकर आना|''

पापा ने ऐसा क्यों कहा, यह सोचते हुए आशु उठा तो पीछे की मेज पर सजी उसकी और माही की युगल फोटो पर उसका ध्यान गया|

'सॉरी पापा', आशु ने तुरंत अनिकेत को फोन लगाया| 

''किसलिए'', अनिकेत ने जानबूझ कर अनजान बनने का नाटक किया|

''आपने मेरी और माही की पेअर फोटो देख ली न| मैं बताने ही वाला था...''

''एक मधुर सच पर तुम्हारे झूठ ने अविश्वास की चादर डाल दी''आशु जबतक कुछ बोलता, फोन कट चुका था|
--ऋता शेखर 'मधु'


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