पक्की छत
आने वाले बरसात के लिए हरिया परिवार के साथ मिलकर नई छप्पर बना रहा था। सब आपस में बोलते बतियाते काम पर लगे थे।
हरिया की पत्नी ने पूछा- "गोलू के बापू, सहर में तो बड़ी ऊँच ऊँच इमारत बनत रहे। तुहनी सब मिलके हुआँ भी काम करत रहन। एक बार पक्का छत बन जाए से बार बार के मुसीबत खतम हो जा ला। उ घर में रहे वाला आदमियन के कोनो परेसानी न लगत होइ, चाहे कोई मौसम आये जाए।"
"अरी ना री, ओहि से तो उ लोग आपस में परिवारो से नहीं मिलते हैं। छप्पर चुएगा तबहिये तो छप्पर छाने के लिए सब एकजुट होएँगे। सब मसीन जइसन लगते हैं वहाँ। न कोनो हंसी मजाक, न चेहरा पर कोई हंसी मुस्कान। अइसे कहो तो इहाँ भी पक्का छत बना दें"- मुस्कुराते हुए हरिया ने कहा।
"न बाबा, ई फूस के छप्पर ठीक हई। सब आदमियन जिन्दा जइसन तो लग अ हई।- कहकर खिलखिला उठी रामकली।
-----ऋता शेखर मधु--------
-----ऋता शेखर मधु--------