Quantcast
Channel: मधुर गुँजन
Viewing all articles
Browse latest Browse all 491

यात्रा

$
0
0
यात्रा-

यात्रा के हैं अनगिन रूप
कभी छाँव मिले कभी धूप
प्रथम यात्रा परलोक से
इहलोक की
नौ महीने की विकट यात्रा
बन्द कूप में सिमटी हुई यात्रा
जग से जुड़ता जब नाता
भोर से सायं तक
पृथ्वी की यात्रा
गंगोत्री से खाड़ी तक
गंगा की यात्रा
बचपन से बुढ़ापा तक
देह की यात्रा
कभी पैदल यात्रा
कभी पटरी पर चलती
रेल की यात्रा
नभ में बादलों के बीच
यान की यात्रा
सागर में
डूबती उतराती यात्रा
कभी दैनिक यात्रा
या फिर साप्ताहिक
मासिक या वार्षिक
समय की पाबंदी पर
बस यात्रा ही यात्रा
क्योंकि करनी है
मुख से पेट तक
भोजन को यात्रा
हर यात्रा में करनी होती तैयारी
बस चूक हो जाती है
अंतिम यात्रा की तैयारी में
जाने कितना कुछ
छोड़ जाते हैं ऐसा
जिसे स्वयं ठिकाने लगाना था
पर अपनी देह को ठिकाने
कोई न लगा सकता
हर आत्मनिर्भर होकर भी
बेबस है
परावलम्बन होना ही है
फिर घमंड किस बात का
इस यात्रा का टिकट तो है
बस तिथि का नहीं पता।
कैसे किस विधि जाना है
रीति का पता नहीं
– ऋता शेखर मधु

Viewing all articles
Browse latest Browse all 491

Trending Articles