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Channel: मधुर गुँजन
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191. पंछी गीत सुनाएँ...(माहिया)

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1
कोयलिया जब बोली
हिय में हूक उठी
उर  ने परतें खोलीं।
2
उसकी शीतल बानी
पीर चुरा भागी
सूखा दृग से पानी।
3
पंछी गीत सुनाएँ
चार पहर दिन के
साज़ बजाते जाएँ ।
4
टिमटिम चमके तारे
रात सुहानी है
किलके बच्चे सारे ।
5
प्राची की अठखेली
नभ में रंग भरे
कूँची ये  अलबेली।
6
सूरज पाँव पसारे
जाग गई धरती
खग बोले भिनसारे।
7
जीवन सफ़र सुहाना
गम या खुशियाँ हों
गाता जाय तराना।
8
जागो  रे सब जागो
नव निर्माण करो
आलस को अब त्यागो।

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