$ 0 0 क्षणिकाएँ------------- १.आँधियाँ चलींदो पँखुरी गुलाब कीबिखर गईं टूटकरमन पूरे गुलाब की जगहउन पँखुरियों पर अटका रहा|2रेगिस्तान मेंआँधियों ने मस्ती कीरेत से भर गई थीं आँखेंआँखों पर होने चाहिये थेचश्मे3हवा स्थिर थीजब रौशन किया था एक दीयामचल गई ईर्ष्यालु आँधीऔर लौ को हाथों की ओटदे दिया हमने --ऋता