गीतिका ...समसामयिक![Corona Viral Test Negative - राहत देने वाली खबर ...]()
मोह बढ़े जब-जब धन से तब, ईश्वर ही सिखलायेगा |
अपना घर अपना रिश्ता ही, काम हमेशा आयेगा ||१||
जन्मभूमि से अपनापन ही, गाँव सभी को ले आया |
‘कोविड के कारण लौटे थे’, इतिहास यही बतलायेगा||२||
अपनी छत अपनी होती है, चाहे होते छेद कई|
यही बात समझाने को तो, नभ में नीरद छायेगा ||३||
मजदूरों को भूख लगी तब, मालिक ने ठुकराया है |
छंद विधान.....
आधार छंद- लावणी (मापनीमुक्त मात्रिक)
विधान- 30 मात्रा, 16,14 पर यति, अंत वाचिक गा
अपदान्त , समान्त – आयेगा
मोह बढ़े जब-जब धन से तब, ईश्वर ही सिखलायेगा |
अपना घर अपना रिश्ता ही, काम हमेशा आयेगा ||१||
जन्मभूमि से अपनापन ही, गाँव सभी को ले आया |
‘कोविड के कारण लौटे थे’, इतिहास यही बतलायेगा||२||
अपनी छत अपनी होती है, चाहे होते छेद कई|
यही बात समझाने को तो, नभ में नीरद छायेगा ||३||
मजदूरों को भूख लगी तब, मालिक ने ठुकराया है |
प्रेम भरा आँचल जननी का, आँगन यह समझायेगा ||४||
जो लौटें उनका स्वागत हो, रीत पुरानी यही रही |
नवयुग में क्या करना होगा, कोरोना कह जायेगा ||५||
सारा दिन सारी ही रातें, चल चल कर बेहाल हुआ |
क्वारंटीन बना घर में क्या, कटकर वह रह पायेगा |६||
छेड़छाड़ की अति होती जब, सृष्टि स्वयं रक्षित होती |
कभी बाढ़ भूकंप कभी ये, कोरोना कहलायेगा ||७||
जो लौटें उनका स्वागत हो, रीत पुरानी यही रही |
नवयुग में क्या करना होगा, कोरोना कह जायेगा ||५||
सारा दिन सारी ही रातें, चल चल कर बेहाल हुआ |
क्वारंटीन बना घर में क्या, कटकर वह रह पायेगा |६||
छेड़छाड़ की अति होती जब, सृष्टि स्वयं रक्षित होती |
कभी बाढ़ भूकंप कभी ये, कोरोना कहलायेगा ||७||
सामाजिक दूरी का पालन, मुँह ढककर करना है|
जो चूके यह सब करने में, कोरोना फैलायेगा ||८||
@ऋता शेखर ‘मधु’
छंद विधान.....
आधार छंद- लावणी (मापनीमुक्त मात्रिक)
विधान- 30 मात्रा, 16,14 पर यति, अंत वाचिक गा
अपदान्त , समान्त – आयेगा