ताटंक छंद में दिनकर
![Rising sun and sunflowers - Fields & Nature Background Wallpapers ...]()
पूर्व दिशा से लाल चुनरिया, ओढ़ धरा पर आते हैं |
ज्योति-पुँज हाथों में लेकर, शनै-शनै बिखराते हैं ||
सफर हमारा चले निरंतर, घूम-घूम बतलाते हैं |
अग्नि-कलश माथे पर धरकर, हम दिनकर कहलाते हैं ||
स्वर्ण रश्मियों की आहट से, खेतों ने अँगड़ाई ली |
हाथ उठे जब सूर्य अर्ध्य को, जीभर जल तुलसी ने पी ||
उषा संगिनी साथ चली है, पंछी राग सुनाते हैं |
भ्रमर निकलते पुष्प दलों से, सूर्यमुखी खिल जाते हैं |
भोर-साँझ की बात निराली, नभ लगते नारंगी हैं |
हर्ष रागिनी और उमंगें, ये सब मेरे संगी हैं ||
श्वेत रंग की किरण हमारी, सबको यह समझाते हैं |
पहनें जब सतरंगी कुर्ता , इंद्रधनुष बन जाते हैं ||
सहती जाती ताप धरा जब, हम भी तो घबराते हैं |
बाँध पोटली में सागर तब, अम्बर को दे आते हैं ||
मेघों के पीछे से छुपकर, मोर देख हरसाते हैं|
बूँदों में भर प्रेम सुधा रस, छम छम नाच दिखाते हैं||
तम चाहे जितना काला हो, उज्ज्वलता से हारा है |
क्षणिक धुंध से निपट बढ़ेंगे, यह संकल्प हमारा है ||
साँझ ढले हम गए झील में, जग को यह दिखलाते हैं |
सच तो यह है जीवन देने, दूर देश को जाते हैं ||
@ऋता शेखर ‘मधु’
29/05/2020
पूर्व दिशा से लाल चुनरिया, ओढ़ धरा पर आते हैं |
ज्योति-पुँज हाथों में लेकर, शनै-शनै बिखराते हैं ||
सफर हमारा चले निरंतर, घूम-घूम बतलाते हैं |
अग्नि-कलश माथे पर धरकर, हम दिनकर कहलाते हैं ||
स्वर्ण रश्मियों की आहट से, खेतों ने अँगड़ाई ली |
हाथ उठे जब सूर्य अर्ध्य को, जीभर जल तुलसी ने पी ||
उषा संगिनी साथ चली है, पंछी राग सुनाते हैं |
भ्रमर निकलते पुष्प दलों से, सूर्यमुखी खिल जाते हैं |
भोर-साँझ की बात निराली, नभ लगते नारंगी हैं |
हर्ष रागिनी और उमंगें, ये सब मेरे संगी हैं ||
श्वेत रंग की किरण हमारी, सबको यह समझाते हैं |
पहनें जब सतरंगी कुर्ता , इंद्रधनुष बन जाते हैं ||
सहती जाती ताप धरा जब, हम भी तो घबराते हैं |
बाँध पोटली में सागर तब, अम्बर को दे आते हैं ||
मेघों के पीछे से छुपकर, मोर देख हरसाते हैं|
बूँदों में भर प्रेम सुधा रस, छम छम नाच दिखाते हैं||
तम चाहे जितना काला हो, उज्ज्वलता से हारा है |
क्षणिक धुंध से निपट बढ़ेंगे, यह संकल्प हमारा है ||
साँझ ढले हम गए झील में, जग को यह दिखलाते हैं |
सच तो यह है जीवन देने, दूर देश को जाते हैं ||
@ऋता शेखर ‘मधु’
29/05/2020