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Channel: मधुर गुँजन
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नए साल पर....

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यह नवगीत प्रतिष्ठित ई-पत्रिका "अनुभूति"के नववर्ष विशेषांक पर प्रकाशित है...यहाँ क्लिक करें |

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नए साल पर....
फिर से रमिया चलो गाँव में

लेकर अपनी टोली
छोड़ चलो अब महानगर की
चिकनी चुपड़ी बोली

नए साल पर हम लीपेंगे
चौखट गोबर वाली
अँगना में खटिया के ऊपर
छाँव तरेंगन वाली
श्रीचरणों की छाप लगाकर
काढ़ेंगे रंगोली

फिर से रमिया चलो गाँव में
लेकर अपनी टोली
बरगद की दाढ़ी पर चढ़कर
फिर झूला झूलेंगे
पनघट पर जब घट भर लेंगे
हर झगड़ा भूलेंगे
बीच दोपहर में खेलेंगे
गिल्ली डंडा गोली

फिर से रमिया चलो गाँव में
लेकर अपनी टोली

दिन भर मोबाइल को लेकर
कोई नहीं हिलता है
हर सुविधा के बीच कहें सब
समय नहीं मिलता हैं
धींगामस्ती को जी चाहे
सखियों संग ठिठोली

फिर से रमिया चलो गाँव में
लेकर अपनी टोली

अब गाँव में सभी वर्जना
हम मिलकर तोड़ेंगे
शिक्षा की नव ज्योत जलाकर
हर नारी को जोड़ेंगे
सुता जन्म पर हम डालेंगे
सबके माथे रोली

फिर से रमिया चलो गाँव में
लेकर अपनी टोली
_ऋता शेखर ‘मधु’

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