Quantcast
Channel: मधुर गुँजन
Viewing all articles
Browse latest Browse all 491

नव कोंपल से सजता, लगता तरु का हर डाल मनोहर है

$
0
0


मेरे तीन दुर्मिल सवैया छंद...
१.
अनुशासित प्रांत महान बने, यह बात सदा सच ही रहती
सदभाव बसे जिस देश सदा, दुनिया बस भारतही कहती
जँह प्रीत नदी बन के बहती अरु वेद ऋचा नभ में उड़ती
वह पावन भूमि तपोवन सी, दिल से दिल की कड़ियाँ जुड़ती
२.
नव कोंपल से सजता, लगता तरु का हर डाल मनोहर है
खग-गान हवा तब गूँज उठे, लगता यह गायन सोहर है
जब धान पके, हर खेत सजे, चमकी सरसों पुखराज बनी
परिधान धरा कुछ यूँ पहनी, सुषमा उसकी अधिराज बनी
३.
फगुनाहट में ऋतुराज चले, धरती कुसुमी बन डोल रही
कलियाँ खिलतीं, तितली उड़ती, अलिगूँज सखी-मन खोल रही
हर बौर सजी अमिया महकी, बगिया कुहु कोयल बोल रही
मनभावन मौसम, मंद हवा, कचनार कली रस घोल रही

---ऋता शेखर मधु

Viewing all articles
Browse latest Browse all 491

Trending Articles