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1
चाँदनी युक्त
गर्वीला रूप तेरा
सम्पूर्ण तुम
आज की रात
तीन रंग की चुन्नी
ओढ़ ली मैंने
चन्दा, बता दे जरा
कहाँ है मीत मेरा।
2
खिलखिलाता
चन्द्रमा रुपहला
मुग्धा नायिका
पी के आलिंगन में
घूँट घूँट पी रही
अमृत धारा।
3
तुम्हे सताने
छुप जाती चाँदनी
तड़पे तुम
अमा में सारी रात
ऐ चाँद
कभी तुम भी तो कहो
अपने दिल की बात
4
शरद पूर्णिमा
चन्दा मामा की
सज धज निराली
लपका मुन्ना
खिलखिल कर
माँ ने बुलाया
आओ बेटा
चांदी की कटोरी में
खीर भरें हम सब
आएगी चाँदनी मामी
रूप और मिठास लिए
अंजुरी भर आस लिए।
--ऋता शेखर मधु
मुक्तक
बाँटना हो गर तुम्हें कुछ, बाँट दो शुभ ज्ञान को|
त्यागना हो गर तुम्हें कुछ, त्याग दो अभिमान को|
जिंदगी में हर कदम पर शुभ्रता शुचिता रहे,
वक्त देकर जब सहेजो वृद्ध की मुस्कान को|
-ऋता शेखर 'मधु'