चाँद वाली रौशनी में आसमाँ की बात कर
ऐ मुहब्बत अब सितारों के जहाँ की बात कर
मुफलिसी में भी रहे आबाद रिश्तों का जहाँ
हो मुरव्वत हर किसी से उस मकाँ की बात कर
जो तस्सव्वुर में दिखे वो सच सदा होते नहीं
सरजमीं पर वक्त की तू इम्तिहाँ की बात कर
ओ मुसाफिर आज तू जाता कहाँ यह बोल दे
हो सके रहकर यहीं पर आशियाँ की बात कर
अजनबी से रास्ते अनजान सी वो मंजिलें
वस्ल की हो रात जब तो ना ख़िजाँ की बात कर
रेत पर आती लहर वापस गुजर कर जा रही
है दिलेरी गर बशर में तो निशाँ की बात कर
--ऋता शेखर ‘मधु’
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