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Channel: मधुर गुँजन
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तुम हो बहादुर ओ सिपाही, याद उसकी ले चलो

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यह हरिगीतिका समर्पित है उन वीर जवानों और उनकी परिणीताओं को जो देश की रक्षा के लिए विरह वेदना में तपते हैं...

दिल में बसा के प्रेम तेरा, हर घड़ी वह रह तके|
लाली अरुण या अस्त की हो, नैन उसके नहिं थके||

जब देश की सीमा पुकारे, दूर हो सरहद कहीं|
इतना समझ लो प्यार उसका, राह का बाधक नहीं||

तुम हो बहादुर, ओ सिपाही, याद उसकी ले चलो|
संबल वही है जिंदगी का, साथ में फूलो फलो||

आशा, कवच बन कर रहेगी, बात यह बांधो गिरह|
तुम लौट आना एक दिन तब, भूल जाएगी विरह|

फिर मांग में भर के सितारे, वह सजी तेरे लिए|
अर्पण करेगी प्रीत अपना, आँख में भर के दिए||

ले लो दुआएँ इस जहाँ की, भूल जाओ पीर को|
आबाद हो संसार तेरा, अंक भर लो हीर को||
....................ऋता शेखर 'मधु'



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