1.
2121/ 2121/ 2121/ 212
आन बान शान से जवान तुम बढ़े चलो
विघ्न से डरो नहीं हिमाद्रि पर चढ़े चलो
वीर तुम तिरंग के हजार गीत गा सको
शानदार जीत के प्रसंग यूँ गढ़े चलो
2212/ 2212/ 2212/ 2212
सरगम हवाओं की मुहब्बत से भरी सुन लो जरा
महकी फ़िजा से फूल की तासीर को गुन लो जरा
हर ओर हैं उसके नजारे जो नजर आता नहीं
उस प्रीत की तस्वीर से बस श्याम को चुन लो जरा
2222/ 2222/ 2222/ 2222
अम्बर प्यासा धरती प्यासी राहें मेघों की भटकी हैं
तरुवर प्यासे चिड़िया प्यासी कलियाँ सूखी सी लटकी हैं
खेतों की वीरानी में कोलाहल सूखे कागूँज रहा
अपनी करनी पर पछताती मानव की साँसें अटकी हैं
4.
2122 2122 2122
आपके जो ख्वाब में पलते रहेंगे
चाँदनी बन रात में चलते रहेंगे
आँधियों में दीप को तुम देख लेना
प्रेरणा बन कर सदा जलते रहेंगे
------------ऋता शेखर ‘मधु’----------------------