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Channel: मधुर गुँजन
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बेटियाँ वरदान हैं

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अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस













संसार के सुन्दर सृजन में, बेटियाँ वरदान हैं।

माता पिता की लाडली अब बन रही अभिमान हैं।।

बेटी पढ़े आगे बढ़े यह कह रही सरकार है।

उसकी खुशी सबसे जरूरी जो बनी आधार है||1


बगिया सुवासित देखकर के, गुनगुनाती बेटियाँ|

नभ में पतंगों को उड़ाकर, मुस्कुराती बेटियाँ||

अम्बर सितारे टिमटिमाए, जगमगाई बेटियाँ|

कलकल नदी की धार बनकर, खिलखिलाई बेटियाँ||2


जब बूँद बनकर बारिशों में, नाचता सावन कभी|

रुनझुन हुई है पायलों की, हँस दिए आँगन सभी||

शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ|

चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बेटियाँ||3


लगती कमलदल सी सुकोमल, धैर्य में है झील सी|

जगमगाती दीप बनकर, रोशनी कंदील सी||

प्राची हँसी पूरब दिशा में भोर की लाली बनी|

धरती सुहानी बेटियों सी खेत की बाली बनी||4


वह चाहते हैं बेटियों को, सरस्वती बसती जहाँ |

जो पूजते हैं बेटियों को, लक्ष्मी रहती वहाँ||

कुछ पर्व भारत में बने जो, बेटियों से हैं खिले|

होंगी नहीं जब बेटियाँ तब, राखियाँ कैसे मिले||5


कुछ शील्ड भारत को मिले हैं, बेटियों के काम पर।

वह हों बछेन्द्री पाल या फिर, कल्पना के नाम पर।।

वैमानिकी तकनीक हो या, हो पहाड़ी चोटियाँ।

बढ़ती गईं आगे हमेशा, हिन्द की ये बेटियाँ।।6


भारत बहादुर बेटियों से, पा रहा गौरव कई।

वह पाँच महिला हैं खिलाड़ी, जो भरें सौरभ कई।।

झूलन क्रिकेटी टीम में रह, जब बनी कप्तान थीं।

तब गेंदबाजी में रमी वह, देश में वरदान थीं।।7


जमुना मुक्केबाज ने तो, रच दिया इतिहास है।

चौवन किलो की वर्ग श्रेणी, वह उन्हीं से खास है।।

तसनीम सोलह वर्ष में ही, रैंक नम्बर वन बनी।

गुजरात की महिला खिलाड़ी, बैडमिंटन बन तनी।।8


जब खेल लंबी कूद अंजू, चैंपियन बनती रहीं|

अनगिन पदक वह नाम अपने, देश के करती रहीं||

आसाम में जनमी हिमा ने,रेस को करियर बनाया|

वह गोल्ड मेडल पाँच जीती, देश का गौरव बढ़ाया|९


माता पिता का साथ पाकर खिल उठी हैं बेटियाँ।

चाहे पढ़ाई नौकरी हो, चल पड़ी हैं बेटियाँ।।

जूडो कराटे भी सिखाएँ, आत्मविश्वासी बनाएँ।

अपनी सुरक्षा कर सकें वे, आत्मबल साहस बढायें।।10


सौन्दर्य का प्रतिमान बनकर वह बनी अभिकल्पना|

माधुर्य का अभिदान पाकर, सृष्टि की अनुरूपना||

जिसने सजाए भाव सारे, क्यों वही अनजान है?

दो-दो घरों से मान पाना, क्यों महाअभियान है??11


जो पूजते नौ देवियाँ पर, बेटियाँ भाती नहीं|

समझे पराया धन हमेशा, वंश की थाती नहीं||

बहुएँ सभी को चाहिए पर, बेटियाँ लाते नहीं|

जब हों मुखौटे इस तरह के, मान वे पाते नहीं||12

--- ऋता शेखर 'मधु'

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